ये कैसा धन सहयोग ? एक बार फिर कसडोल BEO सुर्ख़ियो में…खुलेआम कर रहे पैसे की मांग !…आदेश जारी कर प्राइवेट स्कूल प्राचार्य और प्रधान पाठक से धन सहयोग मांगा जा रहा… पढ़ें BEO राधेलाल जायसवाल ने क्या कहा ?…। चमन बहार
What kind of financial cooperation is this? Kasdol BEO once again in headlines… openly demanding money!
कसडोल।
छत्तीसगढ़ सरकार शिक्षा स्तर एवं गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रति वर्ष करोड़ो का बजट स्वीकृत करती है, और अनेक प्रकार की योजना संचालित करती है, साथ ही शिक्षा के अधिकार के तहत कई बच्चों को निःशुल्क पढ़ा रही है। ताकि कोई बच्चा शिक्षा से वंचित न हो, साथ ही हर वर्ष अनेक अशासकीय स्कूल को मान्यता प्रदान कर रही है, लेकिन कसडोल विकासखंड शिक्षा अधिकारी को बच्चों के भविष्य से कोई लेना देना नही है, साहब को धन चाहिए चाहे प्राइवेट स्कूल की व्यवस्था जैसी भी रहे। आखिर अशासकीय स्कूल के प्राचार्य या प्रधान पाठक धन क्यो सहयोग करेगा, साहब के पत्र को धमकी माना जा सकता ? जो धन व्यवस्था नही करेगा उस स्कूल के मापदंड जांच करते हुए मान्यता पर ग्रहण लगाया जाएगा। यदि ऐसे ही धन का खेल चलता रहा तो कसडोल विकासखंड में शिक्षा व्यवस्था बद से बत्तर होने जरा सा भी समय नही लगेगा। साहब को बच्चों के भविष्य से ज्यादा चिंता अपने जेब भरने की लगी है तो पालक और स्टूडेंट्स कैसे अच्छे शिक्षा व्यवस्था की कल्पना कर सकते है।
पूरा मामला विकासखंड शिक्षा अधिकारी कसडोल राधेलाल जायसवाल ने बकायदा पत्र टाइप और हस्ताक्षर करके एक आदेश जारी किया जिसमे विकासखंड के सभी अशासकीय स्कूल के प्राचार्य एवं प्रधान पाठक कि आवश्यक बैठक दिनांक 28 / 06 / 2023 दिन शुक्रवार समय दोपहर 12:00 बजे आत्मानंद के प्रागंण में रखा गया था। जिसमें सभी अशासकीय स्कूल के प्राचार्य एवं प्रधान पाठक का उपस्थिति अनिवार्य रखा गया था, जहाँ पर शाला संचालन पुस्तक वितरण फीस की जानकारी आर०टी०ई० तहत प्रवेशित बच्चों की शालावार संकुलवार जानकारी एवं शाला प्रवेश उत्सव एवं सेवानिवृत्त हुए एबीओ राधेश्याम चौहान विदाई समारोह रखा गया था, तो इस कार्यक्रम में तन मन और धन की व्यवस्था की जरूरत कहा से पढ़ गई है विकासखंड शिक्षा अधिकारी आदेशो का एक बड़ा सवाल लोगो के मन मे चल रहा है, साथ ही इनका पत्र सोशल मीडिया में भी वायरल हो रहा है।
इधर आमजन जानना चाहती कि वर्त्तमान छत्तीसगढ़ सरकार के शिक्षा विभाग का खजाना खाली हो गया क्या, जिससे विकासखण्ड अधिकारी राधेलाल जायसवाल अशासकीय विद्यालय से पैसा मांग कर कसडोल शिक्षा विभाग को संचालित करेगी, या फिर साहब का खर्चा ज्यादा और पेट बड़ा हो गया है जिससे ऊपरी कमाई की आवश्यक हो रही है, प्राइवेट स्कूल वालो से पैसा लेते रहे तो इसका सीधा असर पालक के जेब मे पड़ेगा साथ प्राइवेट स्कूल संचालित करने वाले संस्था अच्छी शिक्षा कि ओर ध्यान नही देगी, जिनका व्यापक असर बच्चों के भविष्य पर साफ तौर पर दिखाई देगा, खुलेआम पत्र जारी करके पैसा मांगने वाले अधिकारी को आखिर संरक्षण किसका मिल रहा सत्ता पक्ष कोई बड़े नेता या विभागीय उच्च अधिकारियों का, गलत को संरक्षण मिलता रहा तो कसडोल में शिक्षा विभाग चौपट होने में देरी नही लगेंगी। देखना होगा कि खुलेआम पत्र जारी करके अशासकीय स्कूल से पैसा मांगने वाले अधिकारी के ऊपर विभाग क्या कार्यवाही करती है।
विवादों से घिरे बीईओ …
कसडोल विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में बीईओ राधेलाल जायसवाल ने जबसे पदभार सम्भाला है तबसे विवादों में घिरे रहे है, चाहे शासकीय भूमि में अवैध मकान बनाने का हो या सेवानिवृत्त शिक्षकों को समय से पेंशन न देने के अलावा डीएमएफ के तहत अपात्रों को चयन को लेकर विवादों में रहे है, बावजूद शिक्षा विभाग के अधिकारी उक्त गैर जिम्मेदार अधिकारी को बैठा के शिक्षा पर ग्रहण लगा रहे है, आपको बता दे कि पूर्व शिकायत पर क्षेत्रीय विधायक सहित साहब के गृहग्राम के विधायक ने भी जिले के अधिकारी के पास पैरवी किया था जिसपर वरिष्ठ अधिकारियों की दया बनी हुई है, लेकिन ऐसे गैर जिम्मेदार विवादों से घिरे अधिकारी को सहयोग करना निश्चिततौर पर उक्त जनप्रतिनिधियों को आगामी विधानसभा चुनाव में नुकसान होगा।
आदेश…
“इनका कहना है।
प्राईवेट स्कूल की मीटिंग बुलाया गया था प्रवेत्सव और विदाई समारोह के लिए सहयोग के लिए बोला गया है, अब थोड़ा-थोड़ा धन मांगने में किसको क्या आपत्ति हो गया है, कौन सा प्राइवेट स्कूल इस पर बोल रहा है। अब कार्यक्रम में पैसा तो लगेगा ही। ”