सफलता की कहानी:रेशम के धागे निकाल कमला बुन रही अपने बच्चों की शिक्षा का ताना-बाना….

रायगढ़। कहते है कि मन में इच्छा व लगन हो तो रास्ते खुद ब खुद निकल जाते है और सच्ची मेआहनत ही उसको कामयाबी की ओर लेकर जाता है। इस वाक्य को सच कर दिखाई रायगढ़ विकासखण्ड के ग्राम-बेलरिया की श्रीमती कमला साव ने, जो कि घर के प्रतिदिन के कामकाज निपटाने के बाद शेष बचे समय में धागाकरण कार्य करने से उसे रोजगार का साधन मिल गया है जिससे वह स्वावलंबी बनी है। आज धागाकरण कार्य से श्रीमती कमला प्रतिमाह 5 हजार रुपये की आय अर्जित कर रही है। इस आय को वह अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में खर्च कर रही है।श्रीमती कमला साव पिछले दो वर्षो से मोटराइज्ड रीलिंग मशीन पर कोसा धागा निकालने का कार्य कर रही है। वर्ष 2018-19 में रेशम विभाग, रायगढ़ के द्वारा स्थानीय स्तर पर समूह बनाकर महिलाओं को टसर धागा निकालने का प्रशिक्षण दिया गया।

धागाकरण प्रशिक्षण योजना से प्रेरित होकर वर्ष 2018 से वे कोसा धागाकरण कार्य से जुड़ी। रेशम विभाग के माध्यम से कोसा धागा निकालने के कार्य हेतु मोटराइज्ड रीलिंग मशीन उसे प्रदाय किया गया। तब से वे लगातार कोसा धागा निकालने के कार्य में लगी हुई है।

प्रतिमाह 5 हजार रुपये की आय अर्जित कर रही है। आज तसर धागाकरण की आमदनी से श्रीमती कमला साव लगभग 60 हजार रुपये बैंक में जमा कर चुकी है। आज वे अपने दोनों बच्चों को बनोरा आश्रम में पढ़ाई भी करा रही है। वे धागाकरण कार्य से काफी खुश है और इससे निरंतर जुड़े रहना चाहती है। उन्होंने रेशम विभाग की इस योजना के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया है।

error: Content is protected !!