CG : गंभीर समस्या – पॉवर प्लांट की मनमानी से गांव हो जाएगा विरान… प्रदुषण ऐसा कि इलाज करवाने पर भी नहीं मिल रही राहत….। संजय सेन – चमन बहार से

Serious problem – The village will be deserted due to the arbitrariness of the power plant: Pollution is such that even after getting treatment, there is no relief….

संजय सेन.

खरोरा।

रायखेड़ा गांव को प्रदूषण ने जकड़ लिया है। गांव के आस-पास लगें उद्योगों से निकलने वाले काले धुएं के कारण पर्यावरण प्रदूषित होने लगा है। प्रदूषण की वजह से ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर कई दुष्प्रभाव भी देखने को मिल रहे हैं। ग्रामीण इलाके में धुआं इतना फैल गया है कि घर की छतों से लेकर पेड़ पौधे और तालाब पर भी काले धुंए का साया देखने को मिल रहा है। अडानी पॉवर,अष्टधातु से निकलने वाले धुएं से ग्रामीण परेशान हैं। अब वह दूसरे जगह पलायन करने को मज़बूर है।

ग्रामीणों में प्रदूषण का असर :

गांव की संतोषी निषाद ने बताया कि प्रदूषण के चलते बच्चों को स्क्रीन प्रॉब्लम हो रही है। पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि बाल झडऩे की समस्या भी अब उत्पन्न हो गई है, घर में कोई भी चीज अगर बनाई जाए तो उसे खुला नहीं रखा जा सकता, रोजाना दो से तीन बार झाड़ू लगाई जा रही है, इसके बावजूद भी प्रदूषण इतना रहता है कि वह फिर से गंदा हो जाता।

बुजुर्गों को अस्थमा और कमजोरी :

गांव के बुजुर्ग निरंजन शर्मा ने बताया कि मुझे प्रदूषण के कारण सांस की बीमारी हो गई है, शारीरिक कमजोरी हो गई है। गांव में 99 प्रतिशत प्रदूषण है, लेकिन शिकायत करने के बावजूद भी कोई कार्यवाई नहीं की जाती।

शिकायत के बाद भी करवाई नहीं :

गांव की रेखा साहू ने बताया कि प्रदूषण का असर ज्यादातर छोटे बच्चों को हो रहा है। बच्चों को चर्म रोग के साथ खुजली ,फुंसी की बीमारी हो रही है,घर अगर खाने के समान बनाकर उन्हें धूप में सुखाने रखते है तो उसमें प्रदूषण की परत जम जती है, पानी और तालाब में भी प्रदूषण के कारण काला हो जाता है, कई बार इस संबंध में शिकायत की गई लेकिन हमारी समस्याओं को सुना जाता है और दूसरे कान से निकाल दिया जाता है।

इलाज करवाने पर भी नहीं मिल रही राहत :

गांव की द्रोपदी वर्मा ने बताया कि फैक्ट्री के द्वारा देर रात प्रदूषण युग में छोड़े जाते हैं। कई बार ग्रामीणों ने शिकायत की है,इसके बाद भी कोई कार्यवाई नहीं हो रही। धरना प्रदर्शन से लेकर सभी तरह विरोध किए गए हैं लेकिन ग्रामीणों की समस्या को कोई सुनने वाला नही है। अगर अब समस्या का हल नहीं हुआ तो चक्का जाम किया जायेगा।

घर जमीन बेचकर जाने की तैयारी :

गांव के अशोक चक्रधारी ने बताया कि प्रदूषण के कारण वे परेशान हैं। गांव मे इतना प्रदूषण हो गया है कि हर 2 घंटे में घर को साफ करना पड़ता है। प्रदूषण के कारण सांस लेने में तकलीफ और दमा की शिकायत भी है ,मेरी बेटी के हाथों में चर्म रोग हो गया है,जनप्रतिनिधि नेता भी फैक्ट्री वालो के खिलाफ कुछ नहीं बोलते है। प्रदूषण के कारण यहां जीना दूभर हो गया है, मैं अपनी जमीन जायदाद बेचकर जाने की तैयारी में है।

ग्रामीणों को नहीं मिल रहा रोजगार :

अशोक वर्मा ने बताया कि गांव के आसपास फैक्ट्रियां तो है लेकिन यहां के लोगों को रोजगार भी नहीं मिल पाता है। फैक्ट्री ने जमीन लेते समय कहा था कि स्थानीय लोगो को रोजगार देंगे लेकिन स्थानीय लोगो को नौकरी नहीं दी जा रही,ज्यादातर फैक्ट्री में अन्य प्रदेश के लोगो को रखा गया है।

क्या है ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर का कहना :

गांव में स्थित स्वास्थ्य केंद्र के डॉ.ठाकुर का कहना है कि गांव में पहले स्किन प्रॉब्लम के रोग जल्दी ठीक हो जाते थे लेकिन आज के समय में ग्रामीणों को चर्म रोग की समस्या ज्यादा हो रहे हैं, लगातार पेशेंट बार-बार आ रहे हैं और उनकी बीमारी ठीक नही हों रही है, स्वास्थ्य केंद्र में कफ कोल्ड के भी ज्यादा मरीज आते हैं।

फैक्ट्री की मनमानी से गांव का हो रहा अंत :

रायखेड़ा गांव आज प्रदूषण की जद में इस तरह जकड़ गया है कि यहां के पेड़ पौधे और निवासी बेहद परेशान हैं। फैक्ट्रियों की मनमानी के चलते लोगों का जीना दूभर हो गया है। शिकायत के बावजूद भी कार्यवाई नहीं हो रही है, आने वाले दिनों में अगर सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो प्रदूषण का यह दंश ग्रामीणों पर भारी पड़ सकता है। तमाम मसलों पर फैक्ट्री का मैनेजर बात करने को तैयार नहीं है।

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