पुरस्कार से वंचित हीरा रतन थवाईत….
10-15 वर्षों से पेड़ जगा कर सुरक्षा कर रहे…
अब तक जग गई है सैकड़ों पेड़….
दिनेश देवांगन। कटगी
कटगी। कहा जाता है कि एक वृक्ष लगाने से 10 पुत्रों के समान होती है। यही कहावत कटगी में देखने को मिली है आदर्श ग्राम पंचायत कटगी मेें हीरा रतन थवाईत के द्वारा 10-15 वर्षों से जोंक नदी तट पर सैकड़ोंं पेड़ लगा चुकेे है। जिनकी सुरक्षा वह स्वयं अकेले करता है बरसात केे दिन आने के समय पड़ोसियों और गांव के लोगों से छोटे-छोटे पौधों को मांग कर नदी तट पर पौधे को रोप कर और उनकी पत्थरों से घेरा बनाकर सुरक्षित भी रखता है । गांव के लोगों और पड़ोसियोंं के पुराने घरों को तोड़ कर नई घर बनाते हैै तो उसमें का पत्थर को नदी तक ले जाकर पेड़ों पर घेरा बनाकर सुरक्षित रखते हैं
गांव में दिनोंदिन पेड़ों की संख्या कम हो रही है…..
जानकारों की माने तो कटगी एक शिक्षित और समृद्ध गांव है। लेकिन यहां के लोग पेड़ जगाने में जागरूक नहीं है। थवाईत जी ने अकेले ही अपने ही मेहनत से पौधों से लेकर बड़े वृक्षों बना कर रख दिये है थवाईत जी अपने खाली समय में नदी तट पर जाकर पेड़ों की सुरक्षा को देखते रहते हैं क्योंकि गाय जैसे जानवर पेड़- पौधे को नुकसान पहुंचा देते है इस कारण पेड़ों पर पत्थरों का घेरा और कपड़ों से करते हैं । करीब 10 साल पहले जोंक नदी तट पर बंजर भूमि दिखाई देती थी। जो अब बगीचा का रूप ले ली है । गांव की लड़कियां पेड़ों से सेल्फी और फोटो खिंचवाते नजर आ चुके हैं । बंजर भूमि से उपजाऊ भूमि में तब्दील करने में थवाईत जी का काफी मेहनत और समय लगा है । यहां ज्यादातर पीपल ,बरगद, आम , जामुन, नीम , बेल, जैसे बहुत सारे पेड़ देखने को मिलता है । प्राकृतिक प्रेमी थवाईत जी गर्मी के मौसम में अकेले वृक्षों में पानी डालते हैं जिससे वे मरे नहीं इसीलिए उनकी वृक्ष आज बड़ी अकार ले रहे हैं। इस रास्तों से पहले लोग आने जाने मे डरते थे लेकिन अब नहीं डरते हैं क्योंकि पंचायत ने इस रास्ते में सीसी रोड निर्माण कर दी है और इसी रास्ते में दो शनि देव मंदिर , और छत्तीसगढ़ महतारी मंदिर की स्थापना हो गई हैै इसमें जन सहयोग समिति ने सीसी रोड को साफ सफाई भी किए थे जिससे वह क्षेेत्र स्वच्छ हो गया था। इन पेड़ों में गिलोय की पौधा भी रोपे थे। अब महिलाओं का भी आना – जाना बड़ी संख्या में देखने को मिल रही है। मंदिर निर्माण होने से वृक्षों की पूजा हो रही है। यही कि बरगद और पीपल में वट सावित्री व्रत के दिन पूजा पाठ भी करते हैं ।
ऑक्सीजन देने वाले पीपल, नीम , बरगद के पौधे ज्यादा लगाये हैं…
नदी तट क्षेत्र में हरियाली छा गई है थवाईत जी करीब 7 एकड़ बंजर भूमि में यह पौधारोपण कर वृक्ष बना दिए हैं। जिसे वह क्षेत्र अब हरियाली दिखाई देता है जिसके कारण बंदरों की अधिक संख्या यहां दिखाई देती है। लेकिन अब तक पुरस्कार से वंचित है हीरा रतन…आपको अवगत करा दें कि हीरा रतन थवाईत को अब तक किसी भी प्रकार की पुरस्कार व सम्मान नहीं मिली है लेकिन फिर भी वह अपनी बेजोड़ मेहनत कर रहे हैं उन्हें उच्च स्तरीय पुरस्कार वह सम्मान दी जानी चाहिए जिससे उनका मनोबल बढ़े। और लोग भी जागरूक हो और गांव हरियाली युक्त हो। और जो कि जोंक नदी तट पर है जिससे नदी तट कि मिट्टी को बांधकर रखी हुई है जिससे मिट्टी भी बच रही है नहीं तो पहले नदी में बाढ़ आने से तट की मिट्टी को बहा ले जाती थी वो अब बच रही है। यानी कहा जाए तो पेड़ जगाना प्रकृति के लिए फायदा ही फायदा है क्योंकि मिट्टी को भी बांध कर रखती है और हमें ऑक्सीजन और हरियाली छाव देती है।
ग्रामीण भी कर रहे हीरा रतन थवाईत के लिए पुरस्कार के मांग….कटगी के ग्रामीणों ने थवाईत जी के लिए पुरस्कार की मांग कर रहे हैं लेकिन अभी तक पुरस्कार नहीं मिली है।
गांव में शरारती तत्वों की कमी नहीं …कटगी में भी शरारती तत्वों की कमी नहीं है यहां के कई अज्ञात लोग ने जोंक नदी युवा एकता समिति के द्वारा लगाया गया पौधा की ट्री गार्ड की जाली को उखाड़ ले गया जिससे पौधे को गायों ने नुकसान पहुंचा दिया इसी कारण जोंक नदी युवा एकता समिति के लोगों का भी मन खट्टा हो गया है।
हीरा रतन थवाईत ने क्या कहा…..
“” सरकार अभी किसानों को 1 एकड़ भूमि में पेड़ लगाने से 10 हजार रुपए दे रहे लेकिन मुझे अभी तक कुछ भी प्रकार की सम्मान वहां पुरस्कार नहीं मिली है मैं पुरस्कार से वंचित हूं। लेकिन मैं और भी पेड़ जगाऊंगा और सुरक्षा भी करुंगा। ”
“” हीरा रतन थवाईत “
” प्राकृतिक प्रेमी “
(फोटो व कंटेंट : दिनेश देवांगन)