आज ही के दिन छत्तीसगढ़ी भाषा को मिला था राजभाषा का दर्जा…. क्रांति सेना द्वारा किया जायेगा सीएम भूपेश का पुतला दहन… पढ़ें कारण…
रायपुर। जैसे हम सभी जानते हैं आज ही के दिन 28 नवंबर 2007 को हमारी समृद्ध छत्तीसगढ़़ी भाषा को छत्तीसगढ़ विधानसभा ने राजभाषा का कानूनी दर्जा दिया गया था । चौदह वर्ष बीत जाने के बाद भी लगातार हमारे हुक्मरानों के द्वारा हमारी मातृभाषा के साथ भद्दा मजाक किया जा रहा है । राजभाषा छत्तीसगढ़ी को सरकारी कामकाज का माध्यम या स्कूली शिक्षा का माध्यम साजिशतन नहीं बनने दिया जा रहा है । आज छत्तीसगढ़ियों के सब्र का इम्तिहान लेते हुए छत्तीसगढ़ के स्कूल-कॉलेजों एवं अन्य संस्थानों में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जबरन गुजराती भाषा पढ़ाने लिखाने एवं गुजराती संस्कृति आधारित कार्यक्रम कराने के तुगलकी फरमान जारी कर दिये गये हैं । इन सबके पीछे केंद्र सरकार के किसी योजना का हवाला दिया जा रहा है ।
अपने ही प्रदेश में छत्तीसगढ़ी भाषा-संस्कृति को दरकिनार करके गुजराती कल्चर को जबरिया थोपने से हैरान जनता सरकार से यह पूछना चाहती है कि क्या गुजरात में छत्तीसगढ़ी का “छ” भी आज तक पढ़ाया जा सका है ? अगर नहीं तो छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार छत्तीसगढ़ पर हो रहे इस भाषा और सांस्कृतिक आक्रमण-अतिक्रमण को रोकने के बजाय उसे बढ़ावा क्यों दे रही है ? छत्तीसगढ़ की जनता किसी प्रयोगशाला के जीव-जंतु तो नहीं जिन पर आप लगातार उटपटांग प्रयोग करते चले जाएं ।
छत्तीसगढ़ की जनता और उनके हक की आवाज़ बुलंद करनेवाली छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना आज ऐसी सरकारी हरकतों से बुरी तरह से आक्रोशित है । छत्तीसगढ़ सरकार से अपनी छत्तीसगढ़ी भाषा-संस्कृति को बचाने की गुहार लगा- लगाकर थक चुकी क्रान्ति सेना आज राजभाषा दिवस के शुभ अवसर पर नकली खुशी मनाने के बजाय छत्तीसगढ़ सरकार का लोकतांत्रिक विरोध करने पर मजबूर है । इसी विरोध स्वरूप आज छत्तीसगढ़ के प्रत्येक जिला मुख्यालयों में छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के द्वारा मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया जा रहा हैै।