CG – नवगठित जिला : आज से अस्तित्व में आयेगा प्रदेश के 2 नये जिले… विकास कार्यों की गति बढ़ेगी…. सक्ती और मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले की पूरी जानकारी इस खबर पर…। चमन बहार
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 9 सितम्बर को दो नवगठित जिले का शुभारंभ कर प्रदेशवासियों को महत्वपूर्ण सौगात देंगे। इनमें प्रदेश का 32 वां जिला मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर और 33 वां जिला सक्ती होगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने निर्धारित दौरा कार्यक्रम के तहत 9 सितम्बर को सवेरे 10.30 बजे जैन इंटरनेशनल स्कूल सकरी जिला बिलासपुर से हेलीकॉप्टर द्वारा प्रस्थान कर पूर्वान्ह 11.10 बजे महामाया कोल्ड स्टोर के पास ग्राउण्ड-मनेन्द्रगढ़ पहुंचेंगे। वे यहां पूर्वान्ह 11.15 बजे से दोपहर 1.15 बजे तक आयोजित कार्यक्रम में नवगठित 32 वां जिला मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर के कलेक्टर कार्यालय तथा पुलिस अधीक्षक कार्यालय का शुभारंभ करने सहित रोड शो करेंगे। वे इसके उपरांत मनेन्द्रगढ़ में आमसभा लेंगे और नवगठित जिला को अनेक विकास कार्यों की सौगात देंगे। मुख्यमंत्री कार्यक्रम के पश्चात् दोपहर 1.55 बजे मनेन्द्रगढ़ से हेलीकॉप्टर द्वारा प्रस्थान कर 2.35 बजे स्टेडियम ग्राउण्ड सक्ती पहुंचेंगे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सक्ती में 2.40 बजे से 4.40 बजे तक आयोजित कार्यक्रम में सक्ती स्टेडियम से पुलिस अधीक्षक कार्यालय तक रोड शो, पुलिस अधीक्षक कार्यालय का शुभारंभ करेंगे। वे इस दौरान सक्ती में बड़ादेव स्थापना महापूजन कार्यक्रम में भाग लेंगे और नवगठित जिला सक्ती के कलेक्टर कार्यालय का शुभारंभ करेंगे। मुख्यमंत्री श्री बघेल सक्ती में आमसभा लेंगे और नवगठित जिला को अनेक विकास कार्यों की सौगात भी देंगे। वे इसके पश्चात् अपरान्ह 4.45 बजे कॉलेज ग्राउण्ड जेठा विकासखण्ड सक्ती से हेलीकॉप्टर द्वारा प्रस्थान कर 5.30 बजे पुलिस ग्राउण्ड हेलीपेड रायपुर वापस लौट आएंगे।
धार्मिक और आध्यात्मिक शक्ति के केन्द्र के रूप में स्थापित सक्ती जिला अब प्रशासनिक शक्ति के केन्द्र के रूप में उभरने जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने 15 अगस्त 2021 सक्ती को एक नये जिले के रूप में गठन की घोषणा की थी। यह घोषणा आज 9 सितम्बर को मूर्त रूप लेने जा रही है। सक्ती जिले के गठन के लिए प्रकाशित की गई अधिसूचना में जांजगीर-चांपा के उपखंड सक्ती, डभरा एवं मालखरौदा तथा तहसील सक्ती, मालखरौदा, जैजैपुर, बाराद्वार, डभरा तथा अड़भार को शामिल करते हुए नवीन जिला ‘‘सक्ती’’ का सृजन किया गया है। यह छत्तीसगढ़ का 33वां जिला होगा।
सक्ति जिले के नामकरण के संबंध में किवदंती है कि यह क्षेत्र सम्बलपुर राजघराने के अधीन था। किवदंती के अनुसार यहां के गोंड राजाओं ने दशहरे के दिन लकड़ी के तलवार से भैंसों का वध कर शक्ति का प्रदर्शन किया। किवदंती के अनुसार यहां की भूमि शक्ति से ओतप्रोत है और बाद में इसे ’सक्ती’ के रूप में कहा जाने लगा है। इस प्रदर्शन से सम्बलपुर के राजा द्वारा प्रसन्न होकर इसे एक स्वतंत्र रियासत का दर्जा दिया गया। सक्ती रियासत छत्तीसगढ़ के प्रमुख गढ़ में से एक है। मध्यप्रदेश के जमाने में यह सबसे छोटी रियासत थी। मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ बनने के लगभग 22 वर्ष पश्चात इस क्षेत्र को एक नये जिले के रूप में पहचान मिलने जा रहा है।
सक्ती जिला जल संसाधन की दृष्टि से समृद्ध है। यहां महानदी, सोन और बोरई प्रमुख नदियां है। इस जिले की जलवायु खेती-किसानी के लिए उपयुक्त है। यहां लगभग 94 प्रतिशत भूमि सिंचित है। जो राज्य के अन्य जिलों से काफी अधिक है। यहां मुख्य रूप से धान की फसल ली जाती है इसके अलावा यहां गेहूं, चना, अरहर, मूंग आदि की फसल भी होती है। मिनी माता बांगो बांध से निकाली गई नहर से पूरे क्षेत्र में सिंचाई होती है। सक्ती और आसपास का क्षेत्र द्विफसलीय क्षेत्र बन गया है। पूरे अंचल में भरपूर सिंचाई सुविधा उपलब्ध होने के कारण यहां के किसान उद्यानिकी फसलों के साथ-साथ मसालों की खेती की की ओर भी तेजी से अग्रसर हो रहे है।
सक्ती जिला खनिज संसाधन से भी परिपूर्ण है। यहां डोलोमाइट भरपूर भंडार है। इसमें देश के ’डोलामाइट हब’ के रूप में उभरने की व्यापक संभावनाएं हैं। यहां उत्पादित डोलोमाइट खनिज का उपयोग भिलाई, राउरकेला और दुर्गापुर स्टील प्लांट के साथ-साथ देश के विभिन्न हिस्सों में स्थापित स्टील प्लांटों में किया जाता है। हाल में ही छत्तीसगढ़ डेवलपमेंट कार्पोरेशन द्वारा 460 हेक्टेयर जमीन डोलोमाइट खदान के लिए स्वीकृति मांगी गई है। वर्तमान में यहां 16 खदानों का संचालन किया जा रहा है तथा 15 खदानें खनन अनुमति के लिए प्रक्रियाधीन है। यहां सूक्ष्म मात्रा में लाइम स्टोन और नदियों के किनारे रेत का भी उत्खनन होता है।
सक्ती जिले के आध्यात्मिक और धार्मिक स्थलों में अड़भार का मुख्य स्थान है। यहां अष्टभुजी देवी की मूर्ति विराजमान है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। नवरात्रि में यहां आने वाले श्रद्धालुओं का मेला लगा रहता है। देवी की आराधना के लिए यहां अन्य प्रदेशों से भी श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। यह स्थान छत्तीसगढ़ के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। यहां आने पर श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शक्ति का अहसास होता है। इसीलिए यह स्थान दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। अष्टभुजी की आदमकद प्रतिमा का सौंदर्य विलक्षण है।
कलकत्ता की काली माता की तरह अड़भार की अष्टभुजी की दक्षिणमुखी प्रतिमा है। अष्टभुजी मंदिर और इस नगर के चारों ओर विशाल दरवाजों के वजह से इसका प्राचीन नाम अष्टद्वार था, जो बाद में अपभ्रंश के कारण अड़भार हो गया। इसी तरह धार्मिक पर्यटन स्थलों में चंद्रहासिनी देवी का मंदिर भी विशिष्ट है। इसके अलावा रेनखोल और दमउदरहा जैसे मनोरम पर्यटन स्थल है। सक्ती रेलवे स्टेशन से लगभग 14 मील दूर गुंजी नामक गांव है, जहां प्राचीन शिलालेख मिलता है, जो पाली भाषा में लिखा गया है और संभवतः है प्रथम शताब्दी का है। महाभारत काल में इस स्थान का उल्लेख ऋषभ तीर्थ के रूप में मिलता है।
जिला मुख्यालय सक्ती बम्बई-हावड़ा मुख्य रेल लाइन पर स्थित है। यह व्यापार और वाणिज्य का केन्द्र भी है। यहां कृषि और खनिज आधारित अनेक उद्योगों की भरपूर संभावना है। यहां दो पावर प्लांट, राइस मिल, कृषि उपकरण के उद्योग सहित कोसा वस्त्रों की बुनाई का काम भी किया जाता है। जिला बनने के साथ ही यहां के आद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों में तेजी आएगी। वहीं लोगों को कई प्रकार की प्रशासनिक सुविधा मिलेगी। प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण से जहां शासकीय कार्यक्रमों और योजनाओं का लाभ लोगों को आसानी से मिलेगा। वहीं लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप यहां का विकास होगा।
औद्योगिक प्रगति का आधार रहा है ‘मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर‘ क्षेत्र ..अब छत्तीसगढ़ के 32 वें जिले के रूप में आकार लेगा यह क्षेत्र…
देश के प्रमुख कोल खनिज सम्पदा से परिपूर्ण मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर क्षेत्र अब कोरिया जिले से अलग होकर छत्तीसगढ़ के 32वें जिले के रूप में आकार ले रहा है। यह जिला वन संपदा और खनिजों के भण्डार से समृद्ध है। छत्तीसगढ़ में 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में खदानों से कोयला खनन के प्रारंभ होने और रेलवे लाईन के विकास का भी साक्षी रहा है यह क्षेत्र। मनेन्द्रगढ़ शहर जो इस नए जिले का मुख्यालय बनने जा रहा है वह वर्ष 1930 में नियोजित शहर के रूप में बसाया गया था। उस जमाने में यह शहर छत्तीसगढ़ का पहला नियोजित शहर था। यह क्षेत्र छत्तीसगढ़ और देश की औद्योगिक प्रगति का शुरू से ही आधार रहा है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल 9 सितंबर को भव्य समारोह में इस जिले का शुभारंभ करेंगे। इसके साथ ही इस क्षेत्र के लोगों की वर्षों पुरानी बहुप्रतीक्षित मांग पूरी हो जाएगी।
नए जिले के गठन से मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर के सुदूर वनांचल क्षेत्रों में विकास की नयी धारा बहेगी, विकास की गति और अधिक तेज होगी। शिक्षा, स्वास्थ्य, खाद्यान्न, इंटरनेट तथा रोड कनेक्टिविटी के लिए और बेहतर कार्य किए जाएंगे। मनेन्द्रगढ़ के शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ग्राउण्ड में आयोजित इस नए जिले के शुभारंभ समारोह में मुख्यमंत्री जिलेवासियों को लगभग 200 करोड़ 73 लाख रूपए की लागत के विकास कार्यों की सौगात देंगे।
20वीं सदी के दूसरे दशक में चिरमिरी और झगराखांड में कोयले के दो क्षेत्र चिहिंत किए गए थे। कोयले का प्रारंभिक उत्खनन वर्ष 1913 प्रारंभ हुआ था। चिरमिरी में वर्ष 1928 में उत्खनन प्रारंभ किया गया। इस बीच वर्ष 1928 में बिजुरी-चिरमिरी रेल लाईन बिछनी प्रारंभ हुई और वर्ष 1931 में यह काम पूरा हुआ। रेल का विकास और कोरिया रियासत में कोयला उत्खनन छत्तीसगढ़ में उद्योगों की प्रथम आहट रही। शुरू से ही यह क्षेत्र प्रगतिशील रहा है। भारत में पहली बार खनिज मूल्य में रायल्टी जोड़ने का कार्य यहीं से प्रारंभ हुआ। वर्ष 1947 में न्यूनतम मजदूरी दर भी लागू हुई थी। रियासत काल में ही इस अंचल के स्कूलों में बच्चों को आज मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम की तर्ज पर चना और गुड़ वितरित किया जाता था।
शुरू से प्रगतिशील रहे इस क्षेत्र में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्कूल प्रारंभ किया गया। स्कूली विद्यार्थियों के स्वास्थ्य परीक्षण, छात्रवृत्ति जैसी आधुनिक सुविधाए प्रारंभ की गई। ग्रामीणों को वन निस्तारी अधिकार भी दिए गए। मनेन्द्रगढ़ में नगर म्यूनिस्पल्टी और चिरमिरी नगर विकास समिति बनायी गई। प्रसिद्ध बांग्ला लेखक श्री विमल मित्र भी 20वीं सदी के प्रारंभ में कोरिया रहे। उन्होंने छत्तीसगढ़ और रेलवे का आधार बनाकर अनेक कथाएं भी लिखी। मनेन्द्रगढ़ को कोरिया जिले का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है। इस क्षेत्र में रेलवे लाईन के विस्तार से यह क्षेत्र व्यापारिक नगर के रूप में उभरा।
नवीन जिला मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर सरगुजा संभाग के अंतर्गत होगा। जिले में कुल ग्रामों की संख्या 376 है। यहां 13 राजस्व निरीक्षक मण्डल तथा 87 पटवारी हल्का है। इस जिले में मनेन्द्रगढ़, भरतपुर और खड़गवां अनुविभाग और मनेन्द्रगढ़, केल्हारी, भरतपुर, खड़गवां, चिरमिरी और कोटाडोल तहसील होंगी। जिले में 5 नगरीय निकाय जिनमें नगरपालिका निगम चिरमिरी, नगरपालिका परिषद मनेन्द्रगढ़, नगर पंचायत झगराखांड़, नगर पंचायत खोंगापानी और नगर पंचायत नई लेदरी सम्मिलित हैं। नवगठित जिले में अमृतधारा जलप्रपात, सिद्धबाबा मंदिर (मनेन्द्रगढ़) सीतामढ़ी-हरचौका (रामवनगमन पर्यटन परिपथ) भरतपुर, रमदहा जलप्रपात जैसे पर्यटन स्थल भी शामिल हैं।
मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर नवगठित जिले की सीमा उत्तर में तहसील कुसमी, जिला सीधी एवं जिला सिंगरोली (मध्यप्रदेश), दक्षिण में तहसील पोड़ी उपरोड़ा, जिला कोरबा (छत्तीसगढ़), पूर्व में तहसील बैकुण्ठपुर एवं सोनहत, जिला कोरिया (छत्तीसगढ़), पश्चिम में जिला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (छत्तीसगढ़), अनुपपुर और शहडोल (मध्यप्रदेश) निर्धारित की गई है। इस नवीन जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल एक लाख 46 हजार 824 हेक्टयर है। यहां की जनसंख्या 3 लाख 76 हजार 696 है। प्रस्तावित गठित नवीन जिला मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर में तहसील मनेन्द्रगढ़ में ग्रामों की संख्या 59, केल्हारी में ग्रामों की संख्या 74, भरतपुर में ग्रामों की संख्या 108, खड़गवां में ग्रामों की संख्या 44 एवं चिरमिरी में ग्रामों की संख्या 16 और तहसील कोटाडोल में ग्रामों की संख्या 75 है।