CM भूपेश बघेल ने कहा-1 साल तक राशनकार्ड धारकों को फ्री चावल… भूपेश बघेल ने कही यह बात… पढ़ें…। चमन बहार

CM Bhupesh Baghel said – Free rice to ration card holders for 1 year… Bhupesh Baghel said this… Read…. Chaman Bahar

रायपुर।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज 74वें गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर बस्तर जिला मुख्यालय जगदलपुर में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद प्रदेश की जनता को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर आगामी वित्तीय वर्ष से बस्तर संभाग, सरगुजा संभाग और प्रदेश के अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी समाज के पर्वों के उत्तम आयोजन के लिये मुख्यमंत्री आदिवासी पर्व सम्मान निधि के तहत प्रतिवर्ष प्रत्येक ग्राम पंचायत को 10 हजार रूपये प्रदान करने, अगले वित्तीय वर्ष से बेरोजगारों को हर महीने बेरोजगारी भत्ता दिए जाने, महिला समूहों महिला उद्यमियों, महिला व्यवसायियों एवं महिला स्टार्ट अप को व्यापार उद्योग स्थापित करने हेतु नवीन योजना प्रारंभ किए जाने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति और विरासत को अनवरत आगे बढ़ाने के लिये राज्य में छत्तीसगढ़ राज्य नवाचार आयोग का गठन करने, रायपुर एयरपोर्ट में यात्री सुविधाओं को बढ़ावा देने, एयरपोर्ट क्षेत्र के वाणिज्यिक विकास और रोजगार सृजन के लिये स्वामी विवेकानंद विमानतल के पास एयरोसिटी विकसित करने, छत्तीसगढ़ में कुटीर उद्योग आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने, रोजगार और लोगों की आय बढ़ाने के लिये ग्रामीण उद्योग नीति बनाने, औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित इकाईयों को संपत्ति कर के भार से मुक्त करने, खारून नदी पर उत्कृष्ट रिवर फ्रंट विकसित करने, विद्युत शिकायत के निराकरण के लिए आधुनिक ऑनलाईन निराकरण प्रणाली विकसित करने, मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक आवास सहायता योजना शुरू करने, राज्य में प्रतिवर्ष राष्ट्रीय रामायण/मानस महोत्सव तथा चंदखुरी में मां कौशल्या महोत्सव का आयोजन करने की घोषणा की।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मौके पर राज्य के सभी जिलों में अप्रैल माह से समस्त राशनकार्ड धारियों को पीडीएस के माध्यम से फोर्टिफाइड चावल दिए जाने की घोषणा की। गौरतलब है कि अभी तक फोर्टिफाइड चावल का वितरण राज्य के 12 जिलों में मध्यान्ह भोजन योजना और पूरक पोषण आहार योजना में वितरित किया जा रहा था। मुख्यमंत्री ने अंत्योदय, प्राथमिकता, एकल निराश्रित एवं निःशक्तजन राशनकार्डधारियों को जनवरी 2023 से दिसम्बर 2023 तक निःशुल्क चावल वितरित किए जाने की भी घोषणा की। गणतंत्र दिवस का यह समारोह जगदलपुर के लालबाग मैदान में हर्ष और उल्लास के वातावरण में आयोजित हुआ। इस मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी। समारोह में सशस्त्र बल के जवानों द्वारा गार्ड आॅफ आॅनर दिया गया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि हमारे संविधान में लिखी इबारतों को बहुत ही साफ मन और न्याय के अटूट इरादे से समझा जा सकता है। विरासत में हमें न्याय के लिए जो अडिग साहस मिला है, उसी को हमने अपनी सरकार का मूलमंत्र बनाया है। सबसे कमजोर तबकों को सबसे पहले और सबसे ज्यादा तवज्जो देकर न्याय दिलाना हमने अपना प्रथम कर्तव्य माना है। जिसके कारण हम बिना किसी संशय के विगत चार वर्षाें में छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा पूरी लगन से कर पा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ महतारी के महान सपूतों अमर शहीद गैंदसिंह, शहीद वीर नारायण सिंह, वीर गुण्डाधूर का सादर स्मरण किया। उन्होंने कहा कि इन वीर जवानों का बहुत बड़ा योगदान हमारे राष्ट्रीय आंदोलन में रहा, जिन्होंने छत्तीसगढ़ के दुर्गम अंचलों में रहकर छत्तीसगढ़ महतारी के मान को भारत माता के सम्मान के साथ जोड़ा। मंगल पाण्डे, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खां, रानी लक्ष्मीबाई, रानी अवंतीबाई लोधी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, लाल-बाल-पाल और उनके जैसे लाखों सहमार्गियों से देश कभी उऋण नहीं हो सकता।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और संविधान निर्माताओं के वंशज हैं। हमारे पुरखों ने आजादी की लड़ाई में, देश की एकता और अखण्डता को बनाए रखने के लिए, देश में समरसता के मूल्यों और संस्कारों को बचाए रखने के लिए कुर्बानियां दी हैं, जो लोग इस भावधारा से जुड़कर अपने आप को देखते हैं, वे लोग ही हमारी विरासत के महत्व को समझ सकते हैं। इसलिए मैं चाहूंगा कि आप सब नई पीढ़ी को स्वतंत्रता संग्राम और संविधान के मूल्यों से अवगत कराएं।

जब तक देश, इस संविधान के अनुसार चलता रहेगा, तभी तक हम सबकी और देश की आजादी सुरक्षित रहेगी। हमारे संविधान की बदौलत ही हमारा देश, लोकतंत्रात्मक गणराज्य कहलाता है। इससे नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, समता, गरिमा, और बंधुता का वरदान मिलता है। उन्होंने कहा कि आधुनिक भारत के संस्कार और स्वरूप को गढ़ने में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, प्रथम राष्ट्रपति डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद, प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, प्रथम विधि मंत्री बाबा साहब डाॅ. भीमराव अम्बेडकर, प्रथम उप प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल, प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी जैसी विभूतियों के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ के महान स्वतंत्रता सग्राम सेनानियों का भी स्मरण करते हुए उन्हें नमन किया।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि हमें विश्वास था कि छत्तीसगढ़ राज्य गठन से आदिवासी बहुल अंचलों के अनमोल संसाधनों का लाभ स्थानीय जनता को देने के नए रास्ते बनेंगे लेकिन विडम्बना है कि ऐसा नहीं हो पाया था। बड़े निवेश लाने के नाम पर हसीन सपने दिखाए जाते थे, न निवेश हुआ, न सपने पूरे किए गए। हमने यह साबित किया कि बड़े निवेश के नाम पर आदिवासी अंचलों का विकास रोके रखना कदापि उचित सोच नहीं थी। प्राकृतिक संसाधनों, वन संसाधनों और स्थानीय मानव संसाधन की शक्ति से भी बड़ा बदलाव किया जा सकता है। राज्य सरकार में आने के बाद हमने पहले दिन से बदलाव के लिए ईमानदार प्रयास शुरू किए, जिसका नतीजा आप सबके सामने है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आजाद भारत में आम जनता को जितने भी महत्वपूर्ण अधिकार दिलाए गए और न्याय देने के काम किए गए, वे सब स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व करने वालों और उनके वंशजों की बड़ी सोच के कारण संभव हुआ। वन अधिकार अधिनियम भी ऐसा ही एक कानून है जो हमारे नेताओं ने देश में लागू किया था, जो अनुसूचित जनजातियों एवं परंपरागत वन निवासियों की जिंदगी संवार सकता था, लेकिन प्रदेश में इस कानून पर अमल सही इच्छा-शक्ति से नहीं हुआ था। वन अधिकार के दावों को बड़े पैमाने पर खारिज किया गया था और अनेक प्रावधानों को लागू ही नहीं किया गया था।

पट्टे की वनभूमि 5 लाख परिवारों के आजीविका का साधन बनी, मुख्यमंत्री ने कहा कि आज मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमने सिर्फ चार वर्षों में वन अधिकार पत्रों के तहत दी गई भूमि को 11 लाख से बढ़ाकर 40 लाख हेक्टेयर कर दिया। सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र तथा नगरीय क्षेत्र में वन अधिकार पत्र देने की पहल प्रदेश एवं देश में पहली बार हमने की। इस तरह अनेक प्रयासों से हमने 5 लाख से अधिक परिवारों को अनिश्चितता से उबारा, रोजगार और विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलाया है। हमने विभिन्न जनहितकारी योजनाओं के लिए वन अधिकार पत्र धारियों को पात्रता दी है। वन अधिकार अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु 13 हजार 586 ग्रामस्तरीय वन अधिकार समिति के साथ उपखंड एवं जिला स्तरीय समितियों का गठन किया गया है। इसी तरह विशेष रूप से कमजोर जनजातियों को पर्यावास का अधिकार देने की शुरुआत भी हमने धमतरी जिले से की है।

65 वनोपज की समर्थन मूल्य पर खरीदी

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें यह देखकर बहुत अफसोस होता था कि प्रकृति और वनोपज की रक्षा करने वाले लोग अपनी आमदनी के लिए अपने ही अधिकारों से वंचित थे। हमने आदिवासी भाई-बहनों को न्याय दिलाने के लिए लघु वनोपज उपार्जन के सभी पहलुओं पर काम किया, 7 से बढ़ाकर 65 वनोपजों के लिए समर्थन मूल्य देने तथा मूल्यवृद्धि के साथ उपार्जन केन्द्रों में समुचित व्यवस्था भी की। जिसके कारण अब हम देश के कुल वनोपज खरीदी का 75 प्रतिशत हिस्सा खरीद रहे हैं।तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक 4 हजार रूपए प्रति मानक बोरातेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक 2 हजार 500 रूपए से बढ़ाकर 4 हजार रुपए प्रति मानक बोरा किया, जिसके कारण संग्राहकों को मिलने वाली राशि 1 हजार 500 करोड़ रुपए से बढ़कर 2 हजार 521 करोड़ रुपए हो गई। इतना ही नहीं, हमने आदिवासी परिवारों को ऐसी फसलें लेने के लिए प्रेरित किया, जो बाजार में बहुत अच्छे दामों पर बिकती हैं और इस तरह हमने आदिवासी समाज के लिए उन्नत खेती का रास्ता खोलकर, उन्हें प्रगतिशील किसान की नई पहचान भी दिलाई।

प्रदेश में 562 खाद्य प्रसंस्करण इकाईयां स्थापित लोहंडीगुड़ा में जमीन वापसी के साथ ही हमने पूरे प्रदेश में वनोपज प्रसंस्करण केन्द्र स्थापित करने का निर्णय लिया था। अब प्रदेश में ऐसे 50 केन्द्रों में 134 प्रकार के हर्बल उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं, जिनकी बिक्री ई-काॅमर्स प्लेटफार्म के साथ ही राज्य में स्थापित संजीवनी केन्द्र, सी-मार्ट आदि में हो रही है। मात्र चार वर्षों में फूड पार्कों के लिए प्रदेश के 112 विकासखंडों में भूमि का चिन्हांकन और 52 विकासखंडों में भूमि हस्तांतरण हो चुका है। प्रदेश में 562 खाद्य-प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जा चुकी हैं।कोदो, कुटकी, रागी की समर्थन मूल्य पर खरीदी मुख्यमंत्री ने कहा कि लघु धान्य या मिलेट्स की ज्यादातर खेती वन अंचलों में की जाती है लेकिन उचित दाम व विपणन सुविधाओं के अभाव में इसका लाभ आदिवासी तथा ग्रामीण जनता को नहीं मिल पाता था। हमने मिलेट्स के साथ इसकी खेती करने वाले किसानों को भी मान दिलाया है।

कोदो, कुटकी, रागी खरीदी के लिए समर्थन मूल्य घोषित किया, इसे ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ से भी जोड़ा गया है। ‘छत्तीसगढ़ मिलेट्स मिशन’ का गठन किया। 14 जिलों में मिलेट्स की उत्पादकता सहित आवश्यक शोध व अनुसंधान हेतु एम.ओ.यू. किया गया। मुझे विश्वास है कि मिलेट्स को लेकर देश और दुनिया में जो सकारात्मक वातावरण बना है, उसका लाभ छत्तीसगढ़ के आदिवासियों और किसानों को दिलाने के लिए हमने सही समय पर सही कदम उठा लिया है।सभी वर्गाें के विकास के नये-नये उपाय हमने अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के विकास के लिए नए-नए उपाय किए हैं।

‘आदर्श छात्रावास योजना‘, ‘एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय योजना‘, ‘शिष्यवृत्ति योजना‘, ‘छात्र भोजन सहाय योजना‘, ‘राजीव युवा उत्थान योजना‘, ‘राजीव गांधी बाल भविष्य सुरक्षा योजना‘, ‘जवाहर विद्यार्थी उत्कर्ष योजना‘ जैसे अनेक प्रयासों में सहायता राशि, हितग्राहियों की संख्या तथा सुविधाओं में लगातार बढ़ोतरी किए जाने से विद्यार्थियों में नई आशा और विश्वास जागा है। ‘राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव’, ‘विश्व आदिवासी दिवस’ पर सार्वजनिक अवकाश व ‘शहीद वीर नारायण सिंह संग्रहालय’ जैसी पहल से इन वर्गों का गौरव और आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद मिली है।मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने देवगुड़ी तथा घोटुल के महत्व को आत्मसात करते हुए इनके विकास हेतु आर्थिक सहायता में भी बढ़ोतरी की है। विभिन्न परंपरागत काम करने वाले समुदायों की आयवृद्धि हेतु समुचित पहल करने के लिए मंडलों का गठन किया है।

वहीं ‘चिराग परियोजना’ के माध्यम से 14 आदिवासी बहुल जिलों में कृषि एवं इससे जुड़े अवसरों का लाभ स्थानीय लोगों को दिलाने का कार्य भी शुरू किया गया है। देश के जिन कानूनों का लाभ प्रदेश के आदिवासी समाज को राहत देने के लिए पूर्व में नहीं किया गया था, हमने उस दिशा में भी ठोस कदम उठाए हैं। पेसा कानून के लिए नियम बनाने के मामले में हम देश के पांचवें राज्य बने हैं। जेल में बंद व अनावश्यक मुकदमेबाजी से टूट रहे आदिवासी परिवारों को राहत व रिहाई दिलाने का वादा भी हमने निभाया है।

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