छत्तीसगढ़:राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना से बलौदाबाजार जिलें के 17 हजार से अधिक भूमिहीन मजदूर हो रहे है लाभांवित… छोटी-छोटी आवश्यकताओ की हो रही है पुर्ति…. पहली ऐसी योजना जिसका सीधा लाभ मिल रहा…

बलौदाबाजार। राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजना राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय से जिलें के 17 हजार 59 भूमिहीन मजदूर लाभान्वित हो रहे है। इन्हे सत्र 2022-23 में प्रथम किस्त के रूप में 3 करोड़ 41 लाख 18 हजार रूपये जारी की गई है।

जिसमें जनपद भाटापारा के 1 हजार 995, बिलाईगढ़ 1हजार 3 सौ, कसडोल 2 हजार863, बलौदाबाजार 4 हजार 67, पलारी 3 हजार 703 एवं सिमगा के 3 हजार 131भूमिहीन मजदूर शामिल है। इसी तरह सत्र 2021-22 में हितग्राहियों को प्रथम एवं द्वितीय किस्त की राशि दो-दो हजार रूपये जारी कर दी गई है। इसके तहत प्रथम किस्त के रूप में 17 हजार 106 हितग्राहियों को 3 करोड़ 42 लाख 12 हजार रूपयें एवं द्वितीय किस्त के रूप में 17 हजार 93 हितग्राहियों को 3 करोड़ 41 लाख 86 हजार रूपये की राशि सीधे उनके बैंक एकांउट में जमा की गई है। इसके केवल तीसरे किस्त अब बाकी है।

सत्र 2020-21 में प्रथम किस्त में कुल 17 हजार 106 भूमिहीन मजदूर लाभान्वित हुए है। जिसमें जनपद भाटापारा के 2 हजार 2, बिलाईगढ़ 1हजार 304, कसडोल 2 हजार 882, बलौदाबाजार 4 हजार 78, पलारी 3 हजार 710 एवं सिमगा के 3 हजार 130भूमिहीन मजदूर शामिल है। द्वितीय किस्त में जनपद भाटापारा के 2हजार 2, बिलाईगढ़ 1हजार 303, कसडोल 2 हजार 879, बलौदाबाजार 4हजार 72, पलारी 3 हजार 709 एवं सिमगा के 3 हजार128 भूमिहीन मजदूर शामिल है। बलौदाबाजार विकासखंड अंतर्गत ग्राम मोहतरा निवासी कैलाश गिरि ने कहा कि पहले परिवार को पालना बहुत मुश्किल हो जाता था। मेरे पास किसी भी तरह की जमीन नहीं है मै रेघा-अधिया एवं मजदूरी करके अपने एवं परिवार का जीवन यापन करता हूं। जब राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के बारे गांव में मुनादी से जानकारी मिली तब मैनें ग्राम पंचायत में इसके लिए आवेदन किया। मुझे इस योजना के तहत दो किस्तों में 4 हजार रूपये मिल चुका है।

जिससे मैं अपनी छोटी-छोटी आवश्यकताओं की पूर्ति कर लेता हूं। उन्होनें इस योजना की प्रशंसा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जी के प्रति आभार व्यक्त किया।गौरतलब है कि इस योजना से पहले हितग्राहियों को प्रतिवर्ष 3 किस्त में 6 हजार रूपये दी जाती थी। जिसे अब बढ़ाकर प्रतिवर्ष 7 हजार रुपये कर दी गयी है।

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