CHATTISGARH:आखिर किसकी लापरवाही से हुआ शिक्षकों को 3.5 करोड़ का नुकसान? चमन बहार।
जशपुर । शिक्षाकर्मियों के मामले में जो भी हो जाए वह कम है । हालांकि अब प्रदेश में शिक्षा कर्मी बहुत कम संख्या में बचे हैं । लेकिन जो शिक्षाकर्मी से रेगुलर शिक्षक बन चुके हैं , उनके भी पुराने दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं । एरियर्स का करोड़ों का मामला पहले से ही लंबित है और अब जो मामला सामने निकल कर आया है वह एनपीएस की राशि में गड़बड़ी का है ।
मामला जशपुर जिले का है जहां के सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत कार्य कर रहे शिक्षक पंचायत संवर्ग के कर्मचारियों के वेतन से 10 साल तक कटौती की गई और कटौती की गई कुल राशि 3 करोड़ 64 लाख 91 हजार है जो जनपद पंचायत के एक्सिस बैंक खाते में पड़ी हुई है और यह राशि कभी NSDL के खाते में पहुंची ही नहीं है क्योंकि राज्य से अंशदान जनपद पंचायत को उपलब्ध ही नहीं कराया गया । इधर 10 साल तक जनपद पंचायत भी सोती रही और शिक्षकों के खाते से हर माह राशि काट काट कर अपने खातों जमा करती रही जब संविलियन हो गया तो यह राशि एनएसडीएल के खाते में जमा करने की बात आई ऐसे में इस बात का खुलासा हुआ की राशि तो जनपद पंचायत ने अपने पास ही रखी है और जब उनसे पूछताछ हुई तो उन्होंने बताया कि हमें राज्य कार्यालय से राज्यांश मिला ही नहीं है ।
पूरे मामले में शिक्षकों को है सबसे बड़ा नुकसान –
विवेक दुबे इस पूरे मामले के विषय में बताते हुए सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे ने बताया कि शिक्षकों के खाते से लगातार कटौती की गई है और यह कटौती की गई राशि जनपद पंचायत ने खुद के पास रखी थी और राज्यांश भी नहीं आया है जिसका सीधा मतलब है कि राशि जो मिली थी उसमें वर्तमान में 50 % की कटौती हो चुकी है , जिसके चलते राशि का ब्याज शिक्षकों को नहीं मिल सकेगा । जिसका सीधा नुकसान शिक्षकों को है यदि यह राशि एनएसडीएल में जमा हुई होती तो इसका ब्याज भी मिला होता । यह एक बड़ा गड़बड़झाला है ।
क्योंकि जब राशि मिल ही नहीं रही थी तो फिर कटौती ही क्यों की गई इससे तो बेहतर यह होता कि शिक्षक अपनी राशि का उपयोग स्वविवेक से खुद करते हैं और राशि कटौती की गई है तो विभाग की यह जिम्मेदारी है कि 50 % की राशि राज्यांश के तौर पर वह दें और साथ ही जितना ब्याज अन्य शिक्षकों को एनएसडीएल से मिल रहा है उसी के अनुपात में स्वयं ब्याज की राशि दें लेकिन राज्य कार्यालय इस मामले में कोई जवाब दे ही नहीं रहा है जरूरत पड़ने पर इस मामले को हम न्यायालय लेकर जाएंगे ।