CHATTISGARH: सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बाद नान वूवेन और काॅटन बैग की मांग बढ़ी….केंद्र ने एक जुलाई से लगा दिया है प्रतिबंध…। चमनबहार

रायपुर। रुझान आगे भी बने रहे , तो तय जानिए कि नॉन वूवेन बैग , कॉटन बैग का आधिपत्य होगा , उस प्लास्टिक बैग के बाजार में जिसे बंद करने का फरमान जारी हो चुका है । अच्छी बात यह है कि कीमत सभी उपभोक्ता वर्ग की पहुंच में है । प्लास्टिक से बनी सामग्रियों में से लगभग दर्जन भर के उत्पादन , परिवहन , भंडारण और विक्रय पर 1 जुलाई से बंदिश लगा दी गई है । रोजमर्रा के जीवन का अहम अंग बन चुका प्लास्टिक कैरी बैग , पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा दुश्मन माना जा चुका है , तो कटलरी आइटम को रि – सायकल के लायक नहीं माना गया है ।

नान वूवेन और कॉटन बैग

प्रतिबंधित प्लास्टिक के कैरी बैग की जगह नॉन वूवेन और कॉटन बैग भी विकल्प के रूप में मौजूद हैं । पर्यावरण हितैषी इन बैग की कीमत क्रमशः 160 से 170 रुपए किलो और 15 से 20 रुपए प्रति नग है । व्यापारियों के अनुसार प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बाद रुझान और खरीदी में पहली प्राथमिकता इन दोनों को ही मिल रही है । संकेत भी खरीदी के बढ़ने के ही हैं । एक दुकानदार ने बताया कि बायोडिग्रेडेबल और नॉन वूवेन कैरी बैग में पूछ – परख चालू हो चुकी है । रुझान से खरीदी का संकेत मिल रहा है । कपड़े से बने थैले भी डिमांड में आ चुके हैं ।

लिहाजा इन सभी को चलन से बाहर किया जा रहा है । इस बीच कैरी बैग के विकल्प ने दस्तक दे दी है , जिनकी पूछ – परख तेजी से होने लगी है । कटलरी आइटम के लिए यह विकल्प प्लास्टिक के कटलरी आइटम के विकल्प के लिए बर्तन बाजार खुद को तैयार करने में लगा हुआ है । यह बाजार साइज में छोटे और रख – रखाव आसान समझी जाने वाली स्टील की सामग्रियों के लिए आर्डर देने की तैयारी में है । प्लास्टिक के स्टिक का विकल्प वुडन स्टिक बनेंगे । सीमित मात्रा में उत्पादन करने वाली वुडन कटलरी कंपनियों संपर्क साधने की भी तैयारी की खबरें आ रही हैं ।

आया बायोडिग्रेडेबल कैरी बैग….

प्लास्टिक के कैरी बैग के विकल्प के रूप में पहला नाम बायोडिग्रेडेबल कैरी बैग का लिया जा रहा है सहज उपलब्धता वाले इस बैग का सबसे बड़ा गुण प्राकृतिक रूप से निपटान का हो जाना माना जा रहा है । इसके निर्माण में प्राकृतिक संसाधन और सहज ही विघटित होने वाली पेट्रोकेमिकल संसाधन की मदद ली गई है । उपयोग के बाद यह पर्यावरण में मौजूद सूक्ष्मजीव की सहायता से खत्म हो जाता है । इसमें 3 माह का समय लगना माना गया है । बाजार में इसकी कीमत 180 से 190 रुपए किलो है ।

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