बिलाईगढ़ का राजशाही राजा दशहरा 25 अक्टूबर को प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी छत्तीसगढ़ का एक गढ़ बिलाईगढ़ में भव्य राजशाही राजा दशहरा महोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा इसकी व्यापक तैयारियां जोरों से किया जा रहा है ।प्राप्त जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ का एक गढ़ बिलाईगढ़ में भव्य राजशाही राजा दशहरा 25 अक्टूबर दिन बुधवार को राजशाही परंपरा के अनुसार धूमधाम से मनाया जाएगा जिसकी व्यापक तैयारियां जोर-शोर से किया जा रहा है।
बिलाईगढ़ राजा ओंकारेश्वर शरण सिंह ने कहा…
बिलाईगढ़ राजमहल के महाराज ओंकारेश्वर शरण सिंह ने बताया कि राजमहल का नवरात्रि पूरे 9 दिनों तक का होता है जहां हमारी कुलदेवी बूढ़ी माई ( माता देवालय) में जवारा घट (कलश) स्थापना किया जाता है जहां पूरे 9 दिन माता सेवा किया जाता है राजा ने आगे बताया कि बिलाईगढ़ राज परिवार के पूर्वज गोंडवाना परिवार पन्ना मध्य प्रदेश से ताल्लुक रखते थे जो की 1885 से पहले यहां आकर स्थापित हुए जिनका वंशावली आज भी राजमहल में मौजूद गोड आदिवासी मुख्यालय का केंद्र बिलाईगढ़ और धनसीर रहा है बाद में बिलाईगढ़ , कटगी स्टेट कहलाया। प्रमुख राजमहल बिलाईगढ़, कटगी एवम मडकड़ी में था। जमींदारी शासन में राजमहल के स्वयं का पुलिस बल, कचहरी, न्यायालय ,वन कर्मचारी और अन्य महकमें राजमहल से संचालित होता था जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण आज भी यहां मौजूद हैं ।
यहां राजशाही राजा दशहरा पूरे छत्तीसगढ़ में अपना अलग स्थान रखता है राजा ने आगे बताया कि बस्तर दशहरा के बाद यहां का दशहरा दूसरा स्थान रखता है यहां रावण दहन नहीं किया जाता एक दो बार रावण दहन करने का प्रयास किया गया लेकिन दहन करने वाले के परिवार में अनिष्ट हो जाता है तब राज परिवार के रीति रिवाज से सभी प्रकार की ग्राम पूजा के पश्चात त्यौहार मनाया जाता है राजा आज भी अपनी पूर्वजों के परंपरा के अनुसार 9 दिन कुलदेवी (देवाला कुरिया)में जवारा विसर्जन के पश्चात रात्रि में शस्त्र पूजा ,तथा दशहरा के दिन सुबह राज बैगा के द्वारा ग्राम पूजा शाम को राजमहल से शाही सवारी राजा साहब के साथ (रैनी भाटा) दशहरा मैदान के लिए प्रस्थान करते हैं वहीं राजा साहब की राजशाही वेशभूषा लाव लश्कर अस्त्र-शास्त्र की एक झलक पाने पूरे क्षेत्र से जन सैलाब उमड़ पड़ता है।
जीतने पर मिलेगा बकरा….
रैनी भाटा पहुंचकर जहां सबसे पहले आदिवासी युवाओं के द्वारा तीरंदाजी प्रतियोगिता जिसमे विजेता को राजा साहब द्वारा धोती एवं 2100 रूपए प्रदान किया जाता है ।तत्पश्चात (गढ़ तोड़ाई) लंबी कूद विजेता को एक बकरा प्रदान किया जाता है जो गढ़ विजेता कहलाता है ।इसके बाद शाही सवारी राजमहल वापस पहुंचता है जहां पर अंचल भर से आए लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था रहती है एवं रात्रि में लोगों के मनोरंजन हेतु नगर के अलग-अलग जगह पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित रहते हैं वह दूसरे दिन जिसे हटरी दशहरा को आम जनता के भ्रमण के लिए राजमहल के सभी कक्षों का द्वार खोल दिया जाता है ।राज परिवार ने प्रदेश सहित पूरे क्षेत्र वासियों से अपील किया है कि एक बार बिलाईगढ़ राजा दशहरा में जरूर पधारे ।वैसे भी इस राजा दशहरा को लेकर पूरे क्षेत्र में भारी उत्साह का माहौल देखा जा रहा है।
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