CG : बलौदाबाजार जिले मे लम्पी स्किन बीमारी को लेकर अलर्ट जारी…पशुओं को लम्पी स्किन बीमारी से बचाने की सलाह…पशुपालक पशुओं में लम्पी स्किन रोग दिखाई देने पर पशु चिकित्सा विभाग से करें तत्काल सपंर्क…। चमन बहार
Alert issued regarding lumpy skin disease in Balodabazar district… Advice to protect animals from lumpy skin disease…
बलौदाबाजार।
कलेक्टर रजत बंसल ने पशुओं के शरीर में हो रहे अजीब के घाव (लम्पी स्किन डिसीज) संबधी सूचना को गंभीरता से लिया है। इस संबंध में उन्होंने पशु पालन विभाग के अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिये है। बारिश का मौसम अधिक समय तक एवं जमीन का गीला होने के चलते इस तरह की बीमारी में वृद्धि की संभावना बनी रहती है।पशु पालन विभाग के उपसंचालक डॉ एस पी सिंह ने बताया कि जिले के कुछ ग्रामों के गौवंशी पशुओं में लम्फी स्किन बीमारी के लक्ष्ण मिले है। उन्होंने ने बताया कि इस बीमारी में पशुओ के शरीर की त्वचा पर गठान बन जाती है। पशुओ को बुखार आता है साथ ही दुधारू पशुओं के दुग्ध उत्पादन में कमी आ जाती है। कुछ गठानो से मवाद भी आता है। इस बीमारी को लम्पी स्किन डिसीज के नाम से जाना जाता है।उन्होंने आगें बताया कि यह एक विषाणु जनित संक्रामक रोग है। इसके साथ ही यह रोग मच्छर काटने,मक्खी आदि से एक पशु से दूसरे पशुओं में फैलता है।
बीमारी हो जाने पर पशुओं की चमड़ी में गठान (लिम्फ नोड्स में सूजन) पैरों में सूजन, दुग्ध उत्पादन में कमी आदि लक्षण पाये जाते हैं।जिले के 21 गांवों में पशु चिकित्सा दल लगातार उपचार और टीकाकरण कार्य में करते हुए अभी तक 613 पशुओं का उपचार एवं 25 हजार 116पशुओं को टीकाकरण किया जा चुका है। साथ ही 1लाख 44 हजार से अधिक वैक्सीन पर्याप्त संख्या में उपलब्ध है। डॉ सिंह ने बताया कि इस रोग के होने पर पशु सुस्त हो जाते हैं तथा बुखार के साथ ही दर्द से परेशान हो सकते हैं।
इस रोग से पशु दो तीन सप्ताह में ठीक हो जाते हैं। किंतु दुग्ध उत्पादन कई सप्ताह तक कम रह सकता है। नचमड़ी में गठान फूट जाने पर इन फोड़ों में संक्रमण एवं कीड़े पड़ने की संभावना हो सकती है। उन्होंने बताया कि यह रोग विषाणु जनित है अतः इसका वर्तमान में निश्चित उपचार उपलब्ध नहीं है। इस रोग की रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु आवश्यक उपाय जैसे मच्छर, मक्खी की रोकथाम के लिए संक्रमित क्षेत्र में पशु आवागमन पर प्रतिबंध तथा संक्रमित क्षेत्र की साफ-सफाई की जानी चाहिए। रोग ग्रस्त पशु को स्वस्थ्य पशुओं से अलग कर देना चाहिए तथा लक्ष्ण के आधार पर चिकित्सा की जानी चाहिए।।उन्होंने बताया कि जिले के सभी पशु पालक पशुओं को होने वाली इस बीमारी से घबराये नहीं क्योंकि इस बीमारी से होने वाली मृत्यु दर बहुत कम है।
पशुओं में इस रोग के लक्षण मिलने पर अपनी नजदीकी गाँवो में उपस्थित पशु पालन विभाग के कर्मचारियों एवं कार्यालय उपसंचालक पशु पालन विभाग बलौदाबाजार-भाटापारा से डॉ तरुण सोनवानी मोबाईल नंबर 76875-75232 एवं 07727- 223540 में सम्पर्क कर बीमार पशुओं की जानकारी दर्ज करा सकते है एवं पशुओं का उपचार अनिवार्य रूप से करायें।