CG- शर्मनाक : उधार के लैपटॉप में चल रही पटवारियों की नौकरी… इसके पीछे कारण….। चमन बहार
सूरजपुर। प्रदेश सरकार द्वारा विद्यार्थियों को मोबाइल, लैपटॉप का वितरण किए जाता है, वहीं देश प्रदेश को डिजिटल बनाने की बात अक्सर कही जाती है, जबकि शासन के महत्वपूर्ण विभाग राजस्व विभाग को डिजिटल बनाने व्यापक पैमाने पर कदम उठाए गए हैं, लेकिन विभाग में पदस्थ पटवारियों और राजस्व निरीक्षकों को शासन द्वारा अब तक लैपटॉप अथवा कंप्यूटर नहीं दिया गया है जबकि पटवारियों और राजस्व निरीक्षकों को हर जानकारी अद्यतन अथवा दुरुस्त करने लैपटॉप अथवा कंप्यूटर की हर हमेशा जरूरत होती है.राजस्व विभाग को डिजिटल बनाने की पहल वर्ष 2003 से ही अजीत जोगी सरकार में की गई थी, वर्ष 2007 के लगभग भुईयां कार्यक्रम के तहत काश्तकारों को ऑनलाइन बी वन, खसरा, नक्शा भी वितरित किया जाने लगा, तब न तो विभाग ही तकनीकी रूप से दक्ष था और न ही राजस्व विभाग के कर्मचारी।
इसी बीच सरकार बदली पटवारियों और राजस्व निरीक्षकों की नई पीढ़ी की भर्ती हुई और विभाग तेजी से डिजिटल होने लगा. इसी बीच कई तरह की त्रुटि भी की गई जिसका खामियाजा काश्तकारों को भुगतना पड़ रहा है।
वर्ष 2019 तक भुईयां सॉफ्टवेयर को त्रुटि रहित बनाने की सरकारी घोषणा की फाइल बस फड़फड़ाकर रह गई है जिसका अहम कारण है पटवारियों के पास खुद का लैपटॉप अथवा कंप्यूटर और डिजिटल ज्ञान का न होना।
शासन स्तर पर पटवारियों अथवा राजस्व निरीक्षकों को अब तक लैपटॉप अथवा कंप्यूटर और डिजिटल जानकारी प्रदान किए जाने की कोई पहल नहीं की गई है, राजस्व रिकार्ड के सुधार के लिए अब भी पटवारियो और राजस्व निरीक्षकों को लोक सेवा केन्द्र के संचालकों के उधार के लैपटॉप अथवा कंप्यूटर का मोहताज होना पड़ता है, हालांकि कई पटवारी और राजस्व निरीक्षक स्वयं ही कंप्यूटर अथवा लैपटॉप खरीदने में सक्षम हैं लेकिनशासन् स्तर पर इसकी पहल कब तक होगी यह देखना दिलचस्प होगा।
कई पटवारी कंप्यूटर के जानकार नहीं….
राजस्व विभाग में पदस्थ कई पटवारी और राजस्व निरीक्षक अब तक कंप्यूटर शिक्षा के जानकार नहीं हैं, वहीं शासन स्तर पर भुइयां सॉफ्टवेयर में लगातार अपडेट किया जाता है, शासन को चाहिए कि राजस्व विभाग के पदस्थ कर्मचारियो को समय समय पर उचित प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए।