गर्मी के शुरुआत में ही बढी़ तरबुज की मांग…. नदी में हो रही है खेती …. पढ़े

राजिम।गर्मी शुरू होते ही शहर में तरबूज की मांग बढ़ गई है। लोग शौक से खरीद कर अपने घर में ले जा रहे हैं और परिवार के साथ मिल-बैठकर खाने का मजा ले रहे हैं। थोक सब्जी मंडी में तरबूज बिकने के लिए बड़ी गाडिय़ों में आ रही हैं। यहां के दलाल उन्हें खरीद कर सीधे सड़क किनारे या फिर पसरा बाजार में बेच रहे हैं।

बुधवार को रायपुर रोड के पास तरबूज बेच रहे विक्रेता ने इनकी कीमत 70 से 80 रुपए बताए। वैसे साइज के अनुसार इनकी कीमत रखी गई है। किलो में 15 से लेकर 20 रुपए तक बेची जा रही है। गर्मी में रसीले आम के अलावा तरबूज के खासा डिमांड रहती है. इनके साथ ही गन्ना रस का उपयोग ज्यादातर किया जाता है।

उल्लेखनीय है कि राजिम क्षेत्र में 10 साल पहले नदी की रेत पर बड़ी संख्या में किसान तरबूज की खेती करते थे। हजारों रुपए की लागत में बड़ी-बड़ी बाड़ी लगाते थे। विक्रय के लिए कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, चेन्नई जैसे महानगरों के अलावा विदेशों में भी भेजा जाता था और एक अच्छी कमाई करते थे।

परंतु, समय के साथ-साथ नदी का जलस्तर बैठ जाना तथा जलस्तर को ऊंचा उठाने के लिए प्रदेश सरकार के द्वारा नदी में ही एनीकट बना दिया गया. जिसके कारण किसानों को अब नदी की रेत पर बाड़ी लगाने को नहीं मिल रही है।

किसान अब इधर-उधर काम की तलाश में भटक भी रहे हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत यहां के लोगों को तब होती है जब करोड़ों रुपया के एनीकट बनाए गए हैं और उससे पानी नहीं रहता है। परंत, इस बार प्रदेश के जल संसाधन विभाग की सक्रियता के चलते एनीकट में पानी भर रहा है। इससे लोगों में खुशी का आलम है।

राजिम तरबूज उत्पादन के क्षेत्र में पहचान बना चुके थे। अभी भी यहां तरबूज की डिमांड बनी हुई है। गांव में लोग इन्हें कलिंदर के नाम से जानते हैं। भाठा बाड़ी में तरबूज की खेती करने के लिए प्रदेश सरकार को किसानों को प्रोत्साहन करने की जरूरत है।

नरवा ,गरवा, घुरवा, बाड़ी सरकार की प्राथमिकता में है। बाड़ी योजना के अंतर्गत तरबूज की खेती के लिए सब्सिडी प्रदान करें तो किसान उत्साहित होंगे और पुन: यहां तरबूज की खेती लहलहा उठेगी।

error: Content is protected !!