बंगाल में डूबी भाजपा की नैया, नहीं चला मोदी और अमित शाह का जोर

पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सरकार तीसरी बार बनना लगभग तय हो गया है। इस पर खुशी जताते करते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ममता बनर्जी को जीत की बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘पश्चिम बंगाल में भाजपा की नफरत की राजनीति को हराने वाली जागरुक जनता, जुझारू नेता ममता बनर्जी व टीएमसी के समर्पित नेताओं व कार्यकर्ताओं को हार्दिक बधाई। उन्होंने आगे लिखा कि ये भाजपाइयों के एक महिला पर किए गए अपमानजनक कटाक्ष ‘दीदी ओ दीदी’ का जनता द्वारा दिया गया मुंहतोड़ जवाब है।’

इस चुनाव में हार के लिए बीजेपी के खिलाफ कई फैक्टर्स को वजह माना जा रहा है, उन्हीं में से एक ‘दीदी ओ दीदी’ का नारा भी है। जानकारों का कहना है कि भाजपा के इस संबोधन के बाद से लगभग सभी महिलाओं के वोट टीएमसी के खाते में गए है। बीजेपी ने दावा किया था कि बीजेपी 200 से ज्यादा सीटें बंगाल में जीतेगी। रूझानों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी 202 सीटों पर आगे है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में मोदी की छवि और चुनावों के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह भी राज्य की हवा अपने पक्ष में नहीं कर पाए। इसके अलावा ममता बनर्जी के साथ ऐंटी इनकंबेंसी का भी माइनस पहलू था।

हालांकि, भाजपा उसे नहीं भुना पाई। देखा जा सकता है कि इस बार के बंगाल के चुनाव में भाजपा के पक्ष में सभी फैक्टर होने के बावजूद उसकी हर का कारण कैंपेंन को नेगेटिव माना गया। खास तौर पर वोटरों को ‘दीदी ओ दीदी’ का संबोधन अखर गया। विशेषज्ञों का कहना है कि बंगाल में लोगों ने भाजपा को ही वोट देने का मन बनाया था, लेकिन रैलियों में दीदी के लगातार अपमानजनक संबोधन ने उन लोगों का विचार बदल दिया। साथ ही ‘दीदी ओ दीदी’ का उल्टा असर तब पड़ना शुरू हो गया जब छोटे मोटे नेताओं ने भी मंच से ‘दीदी ओ दीदी’ कहना शुरू किया।

अगर गौर किया जाए तो आज की तारीख में ज्यादातर लेफ्ट वाले भाजपा में नजर आते हैं। वहीं उनकी भाषा भी पुरानी लेफ्ट ही वाली है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि पैकिंग बदल कर पुराना माल फिर से खरीदना से बेहतर बंगाल की जनता ने दीदी पर भरोसा जताया है। याद दिला दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान ‘चौकीदार चोर है’ के नारे ने भाजपा के लिए संजीवनी का काम किया था। उसी तर्ज पर यह कहना भी सही होगा कि बंगाल में ‘दीदी ओ दीदी’ के संबोधन भाजपा को ज्यादा नुकसान कराया है।

इसके आलावा इस बार के चुनाव में ममता बनर्जी की ‘बंगला निजेर मेये केई चाये (बंगाल को अपनी बेटी चाहिए)’ की छवि बनाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘दीदी, ओ दीदी’ की लड़ाई के बीच पश्चिम बंगाल की महिला मतदाताओं में बहस छिड़ गई। नतीजे देखने के बाद यह कहा जा सकता है कि पीएम की टिप्पणियों का बैलेट बॉक्स पर तीन तरह से प्रभाव पड़ा।

दरअसल, दुनिया भर में महिलाओं को तीन समूहों में विभाजित किया जाता है, एक जो अन्य महिलाओं को अपमानित करती हैं, महिलाओं का एक और वर्ग है, जो कि बहुसंख्यक है और महिलाओं को अपमानित होने से रोकती हैं और एक तीसरा समूह जो गुस्से के साथ प्रतिक्रिया करता है, इस बार महिला मतदाता अस्वीकृति के साथ प्रतिक्रिया दे सकती हैं, क्योंकि वे इस तरह का व्यवहार पसंद नहीं करती हैं। ऐसे में महिलाओं का मानना था कि भारत की इकलौती महिला मुख्यमंत्री पर पीएम मोदी की इस तरह की अपमानजनक टिप्पणी भारत की सभी महिलाओं के लिए शर्मसार करने वाली है। वहीं नतीजों से यह साफ हुआ है कि महिला मतदाता ममता के साथ खड़ी रहीं।

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