CG – बलौदाबाजार वन विभाग : लापरवाह जनसूचना अधिकारी पर लगा 25 हजार का जुर्माना… जानकारी नहीं देना पड़ा महंगा…. आयोग ने जारी किया आदेश…। चमन बहार
25 thousand fine imposed on negligent public information officer … did not have to give information expensive…. commission issued order
बलौदाबाजार।
शिकायतकर्ता दिलेराम सेन द्वारा वन परीक्षेत्र अधिकारी सोनाखान वन मंडल बलौदा बाजार के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर जानकारी चाही थी 1वन क्षेत्र अंतर्गत कुल कितने नग फेसिंग पोल एवं कितने क्विटल तार की खरीदी की गई थी ,2 फेसिंग पोल एवं काटा तार की खरीदी किस फर्म से की गई थी एजेंसी का कोटेशन प्रमाणित छायाप्रति, 03 फेसिंग पोल एवम काटा तार को किन-किन वाहनों के द्वारा धुलाई कराई गई थी।
जवाब में जन सूचना अधिकारी द्वारा आवेदन पर कारवाही करते हुए गोविंद सिंह जन सूचना अधिकारी एवं परिक्षेत्र अधिकारी सोनाखान द्वारा पत्र क्रमांक 358 दिनांक 01,04, 2021 के माध्यम से अपील को अवगत कराया था कि चाही गई जानकारी सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6 के अंतर्गत एक ही आवेदन में एक ही बिंदु पर जानकारी दिए जाने का प्रावधान है किंतु आपके द्वारा एक ही आवेदन में बिंदु एक से 3 तक की जानकारी मांगी गई है जानकारी दिया जाना संभव नहीं है।
जन सूचना अधिकारी के इस जवाब संतुष्ट नहीं होने के कारण शिकायतकर्ता द्वारा प्रथम अपील दिनांक 21,06, 2021 को प्रथम अपील प्रस्तुत किया गया प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा दिनांक 02,08 2021 को आदेश पारित कर जन सूचना अधिकारी के विनशिच्य को उचित मान्य करते हुए अपील प्रकरण नस्तीबद्ध किया किया गया।
प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा पारित आदेश से क्षुब्ध होकर शिकायतकर्ता द्वारा दिनांक 15 09 2021 को आयुक्त समक्ष शिकायत प्रस्तुत की गई आयोग द्वारा प्रथम सुनवाई में स्पष्ट उल्लेख करते हुए कहा गया था कि अगर आवेदन कर्ता एक से अधिक बिंदु में एक विषय में मांग करता है तो जानकारी दिया जाना उचित है कितने और किन-किन किस कह देने मात्र से प्रश्नवाचक नहीं हो सकता अगर जानकारी कार्यालय में संधारित है जिस रूप में है उस रूप में दिया जाना संभव है।
मुख्य सूचना आयुक्त ने तत्कालीन जन सूचना अधिकारी गोविंद सिंह वन परीक्षेत्र अधिकारी सोनाखान पर शिकायतकर्ता के जन सूचना आवेदन और समय अवधि में निराकरण नहीं करने एवं आयोग के द्वारा जारी कारण बताओ सूचना पत्र का जवाब संतोषजनक एवं समाधान कारक नहीं पाए जाने के कारण सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20-1 के तहत 25,000 अर्थदंड आरोपित किया।